Trump ने July Tariff Deadline को किया खारिज – अमेरिका की व्यापार नीति फिर चर्चा में

Download App

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जुलाई टैरिफ डेडलाइन को सिरे से नकारते हुए साफ कहा है, “हम जब चाहें तब कर सकते हैं।” इस बयान के बाद अमेरिकी व्यापार नीति को लेकर फिर से बहस छिड़ गई है और वैश्विक बाज़ारों में हलचल देखी जा रही है।

क्या है Tariff Deadline विवाद?

जुलाई में चीन समेत कई देशों के साथ नए टैरिफ लगाने की संभावना जताई जा रही थी। लेकिन ट्रंप ने साफ कर दिया कि ऐसी कोई फिक्स डेडलाइन नहीं है। उन्होंने यह संकेत दिया कि अगर वह फिर से सत्ता में आते हैं तो टैरिफ पॉलिसी पूरी तरह उनके नियंत्रण में होगी, न कि किसी तय तारीख या प्रक्रिया के अनुसार।

बयान का वैश्विक बाजारों पर असर

ट्रंप के इस बयान के बाद अमेरिकी शेयर बाजारों में हल्की उथल-पुथल देखने को मिली। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर ट्रंप दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं, तो चीन और अन्य देशों के साथ व्यापारिक रिश्तों में सख्ती देखी जा सकती है। इससे ग्लोबल सप्लाई चेन पर भी असर पड़ सकता है।

राजनीतिक संकेत क्या हैं?

यह बयान एक स्पष्ट संदेश है कि ट्रंप अभी से अपनी आर्थिक और व्यापारिक रणनीति को फिर से गढ़ रहे हैं। वे इस मुद्दे को चुनावी रणनीति के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं, जिसमें ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति को फिर से प्रमुखता दी जा सकती है।

निष्कर्ष: ट्रंप का जुलाई टैरिफ डेडलाइन को खारिज करना केवल एक बयान नहीं, बल्कि उनकी व्यापारिक नीति के लचीलेपन और राजनीतिक चालों का संकेत है। यदि वे सत्ता में लौटते हैं, तो वैश्विक व्यापार नियमों और साझेदारियों में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।

Disclaimer: यह लेख विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स और सार्वजनिक बयानों पर आधारित है। व्यापारिक नीति या चुनाव परिणामों से संबंधित कोई भी निष्कर्ष अनुमानात्मक हैं। कृपया आधिकारिक स्रोतों की पुष्टि अवश्य करें।

Read More:

Leave a Comment

Free Mobile